Sunday, May 24, 2020

नियति

समुन्दर किनारे गिरी एक बोतल कांच की
जो किसी शाम में कहकहों के बीच थी
आहिस्ता से थामते थे उसे हाँथों में
उसकी एक अहमियत थी, वो क़ीमती थी।

समुन्दर किनारे गिरी एक बोतल कांच की
अब बस ठोकरों के लगने पे खिसकती है
ढलती शाम में सूरज की विदाई करती
आज अंधेरे में अकेली पड़ी है।

सोचती है अग़र मैं दब के टूट जाऊँगी
तो चुभ जाउंगी किसी अनजान पैरों में
जो ना टूटी और यूँ ही रही तो
गीली रेत में दब के कहीं खो जाउंगी।

इसी कशमकश में थी की तभी
दो नन्हे हाथों ने उसको थाम लिया
उठाया और देखा गौर से उसको
फिर अपने झोले मे डाल लिया।

Saturday, May 16, 2015

मेरे आत्मज ।

श्रवण रुदन का मधुर लगे
मन हर्षित हो हर उस पल में 
जब कुमुद सरीखे हाथों से
वो मुझको स्पर्श करे
भरके नयनो में उत्सुकता 
देखे पलके झपकाए जैसे 
अभिव्यक्ति करे बिन बातों के 
फिर सपनो में खो  जाए 
तुम निज नव जीवन का अभ्युदय 
अब तुमसे मेरा हर पल हर दिन 
अभीक अभिरूप आत्मज् मेरे 
इस जगत में तुम्हारा अभिनन्दन। 

Sunday, May 18, 2014

Barkha 17-May-2014

Barkha aaj khoob baras tu
Gir zameen sang thirak tu
Kar dillagi mujhse yun
Chitak aur lipat mujhse tu

Khwahish hai aaj..
Badlon ke garaj ki
Bheegi mitti ke mehak ki
Surkh pholon ke chehak ki

Jab tu barasati hai
Hawaon ke sath lehrati hue
Jab tu zameen chumti hai
shorgul machati hue

Ehsaas gungunate hai
Khush mizaz yun hota hai
Aapadhapi ki zindagi mein
Kuch pal sukun hota hai!

Tuesday, March 26, 2013

होली है..!

कोई है गुलाबी
कोई है लाल
हवा हो रंग बिरंग
जब उड़े गुलाल
गुझिया खुरमा
नमकीन मिठाई
कैसी होली जब
यह सब ना खाई
थोड़ी शरारत
थोड़ी मस्ती
क्या हुआ
जो वो गुस्साई
रंग लगाओ
खुद रंग जाओ
खुद खुश हो
सबको हंसाओ
दिल से सभी को
होली की बधाई।



Sunday, March 17, 2013

तुम

जो मेरी ताकत बने
कमजोरी नहीं
जो मेरी चाहत बने
मजबूरी नहीं।

के एहसास हो जिसके
पास होने का हर पल
के एहसास हो जिसके
साथ होने का हर पल।

हो इतने करीब
की फासले धड़कन से लगे
सासों की फिक्र ना हो
जीने के लिए।

के पशेमान  ना हो की
साथ मैं तेरे क्यूँ
जिसने जन्म दिया मुझे
साथ वो मेरे क्यूँ।

तुम मेरी
खुली आँखों का ख्वाब हो
कुछ और तमन्ना नहीं
गर कोई तुम जैसा साथ हो।

Wednesday, March 13, 2013

गीली रेत..

गीली रेत को देखो
कोई भी उस पर अपने निशान डाल जाता है
और समुंदर को देखो
वो कैसे अपनी एक लहर से
उसे फिर से पहले सा बना जाता है।

हमारे विचारों  की प्रवृति रेत जैसी है
बस मन समुंदर सा और हो जाए
क्या बिसात हो मुश्किल की फिर
जटिल जीवन सरल हो जाए। 

Friday, September 9, 2011

धन्यवाद!

हे ईश्वर तेरा धन्यवाद है
इस जीवन के लिए
बीत गए कल के लिए
आने वाले हर पल के लिए
ऐसे परिवार के लिए
उनके प्यार के लिए
इस शरीर के लिए
मुझमे निहित हर अच्छे विचार के लिए
मुझे सक्षम बनाने के लिए
विषम परिश्थितियों से निडरता
धीर हो उसे अपनाने के लिए
खाए गए हर निवाले के लिए
जीवन रस युक्त हर प्याले के लिए
हे ईश्वर तेरा धन्यवाद है!