Wednesday, March 13, 2013

गीली रेत..

गीली रेत को देखो
कोई भी उस पर अपने निशान डाल जाता है
और समुंदर को देखो
वो कैसे अपनी एक लहर से
उसे फिर से पहले सा बना जाता है।

हमारे विचारों  की प्रवृति रेत जैसी है
बस मन समुंदर सा और हो जाए
क्या बिसात हो मुश्किल की फिर
जटिल जीवन सरल हो जाए। 

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