Friday, September 9, 2011

धन्यवाद!

हे ईश्वर तेरा धन्यवाद है
इस जीवन के लिए
बीत गए कल के लिए
आने वाले हर पल के लिए
ऐसे परिवार के लिए
उनके प्यार के लिए
इस शरीर के लिए
मुझमे निहित हर अच्छे विचार के लिए
मुझे सक्षम बनाने के लिए
विषम परिश्थितियों से निडरता
धीर हो उसे अपनाने के लिए
खाए गए हर निवाले के लिए
जीवन रस युक्त हर प्याले के लिए
हे ईश्वर तेरा धन्यवाद है!

Friday, September 2, 2011

एक विचार!

गलतियाँ तो अक्सर हो जाती है
पर उनका एहसास नहीं हो पाता
जो एहसास भी हो जाए अगर
तो उसे ज़ाहिर नहीं कर पाते
ज़ाहिर न कर पाने से
ग़लतफ़हमियाँ पैदा हो जाती है
जो के दूरियाँ बढाती है
बातें बनती जाती है क्यूँकी
कल्पनाओ का विस्तार अनंत है
की सारी हदें टूट जाती है
इसीलिए यथार्थ जाने बिना
प्रतिक्रिया वैध नहीं होती
उसे भी कसौटियों पर परखना चाहिए
मन में सोचने से कुढन होती है
मन में कुछ भी कभी नहीं रखना चाहिए
जिनसे प्यार करते है उनसे
रिश्ते अति मूल्यवान होते है
गलती किसी की भी हो
समझौता कर लेना चाहिए!

Thursday, August 4, 2011

जलेबीँ

एक बार इंग्लैंड से भारत आए विलिअम डक
खा कर गर्म जलेबीँ डक रह गए दंग
डक रह गए दंग पुछा इसको कैसे बनाता
इस चीज़ के अन्दर शरबत कैसे भर जाता
वेटर बोला इसको आर्टिस्ट बनाते
जब बन जाता तब इन्जेक्सन से रस पहुचाते !!

Thursday, July 28, 2011

अर्ज़ है !!

हमने उल्फत में उन्हें देखते देखते
होश को खयालो के हवाले कर दिया
जान हलक में आ गयी तो पता चला की
ज़िन्दगी साँसों की मोहताज़ नहीं होती
सांस खो कर भी जिंदा रह सकते है
जब ज़िन्दगी दिल के पास होती है !!

Tuesday, April 19, 2011

चंद लफ्ज़ तारीफ में

लोग खामखा ही चाँद की तारीफ करते है
जो इतना दूर है उसे पाने की ख्वाहिश रखते है
नजाकत तो इतनी ज़मीन पर भी है बाखुदा
शायद खूबसूरती शब्द भी उन्हें देख कर ही इजाद हुआ
तुलना चाँद से उनकी तो बस यूँ ही करते है
हर पल में उनकी ख़ुशी की उम्मीद जो रखते है
चाँद का क्या बिगड़ेगा उसकी चाहत तो हजारों रखते है

क्रमशः ..

Saturday, March 26, 2011

अधीर मन

ऐ अधीर मन मेरे
क्यूँ नहीं कहीं टिकता है तू
स्थिरता से क्यूँ नहीं नाता तेरा
क्यूँ बावरा सा फिरता है तू

तू कभी धरती पर तो कभी
आसमान में रहता है
बादलो के साथ उड़ता है
पानी के साथ बहता है

अब तो आजा ज़मीन पर
देख चंचलता अच्छी नहीं
टिक जा किसी एक पर
यूँ अधीरता अच्छी नहीं

चल तुझे एकाग्रता से मिलवाता हूं
अनुशासन में उड़ना सिखाता हूं
शायद तेरी गति को राह मिल जाए
सबसे ऊँची शाख पर कैसे पहुचना है
तू ये समझ जाए