Saturday, May 16, 2015

मेरे आत्मज ।

श्रवण रुदन का मधुर लगे
मन हर्षित हो हर उस पल में 
जब कुमुद सरीखे हाथों से
वो मुझको स्पर्श करे
भरके नयनो में उत्सुकता 
देखे पलके झपकाए जैसे 
अभिव्यक्ति करे बिन बातों के 
फिर सपनो में खो  जाए 
तुम निज नव जीवन का अभ्युदय 
अब तुमसे मेरा हर पल हर दिन 
अभीक अभिरूप आत्मज् मेरे 
इस जगत में तुम्हारा अभिनन्दन। 

No comments: